फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज़ (खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषि आधारित उद्योग परियोजनाएं) in Hindi Language, Food Processing and Agriculture Based Industries (Project Profiles)

फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज़ (खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषि आधारित उद्योग परियोजनाएं) in Hindi Language, Food Processing and Agriculture Based Industries (Project Profiles)

Author: Ajay Kr. Gupta

Publisher: NIIR PROJECT CONSULTANCY SERVICES

Published: 2019-01-01

Total Pages: 472

ISBN-13: 9381039941

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खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का मतलब खाने की वस्तुओं की प्रोसेसिंग कर उसे नए रूप में पेश करने के कारोबार से है। भारत में लोगों की तेजी से बदलती लाइफ स्टाइल ने खाद्य प्रसंस्कृत उत्पादों की मांग में लगातार बढ़ोतरी की है । ऐसे में कारोबारी इस क्षेत्र में कम निवेश और बेहतर कारोबारी सहायता के जरिए एक नया मुकाम बना सकते हैं, जिसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय कई सारी योजनाएं चला रहा है। इसके तहत नई इकाई लगाने, मौजूदा इकाई का आधुनिकीकरण करने, तकनीकी सहायता आदि के लिए सहायता मिल रही है। भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में प्रसंस्कृत खाद्य के उत्पादन और निर्यात की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। खाद्य बाजार लगभग 10.1 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का हिस्सा 53% अर्थात 5.3 लाख करोड़ रुपये का है। नौकरी के लिए सुबह-शाम की भागमभाग, ट्रैफिक और तमाम तरह की अन्य आपाधापी से भरी दिनचर्या के बीच किसे फुर्सत है कि खाना तसल्ली से रोजाना बनाया और खाया जाये। इसका समाधान इंस्टेंट एवं प्रोसेस्ड अथवा रेडी टू ईट पैक्ड फ़ूड के रूप में देश-विदेश में देखा जा सकता है। पहले खानपान की ऐसी आदतें सिर्फ पश्चिमी देशों तक ही सीमित थीं पर आज भारत जैसे विकासशील देशों में भी बड़े पैमाने पर यह प्रचलन आम होता जा रहा है। इसी बदलाव का नतीजा है कि वैश्विक स्तर पर प्रोसेस्ड फ़ूड इंडस्ट्री का कारोबार निरंतर गति से बढ़ रहा है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण कम्पनियों के लिए प्रचुर संभावनाएँ हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विभिन्न उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण भारत के लोगों की प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होना है, जिसके फलस्वरूप वे उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों पर खर्च करने की स्थिति में हैं। भारतीय खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग उत्पादन, खपत, निर्यात और‍ विकास संभावना की दृष्टि से विश्व में सबसे बड़ा उद्योग है। उपभोक्ता की बढ़ती सम्पन्नता ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विविधिकरण के लिए नए अवसर खोल दिए हैं और विकास के नए मार्ग खोल दिए हैं। प्रसंस्कृत और सुविधाजनक खाद्य की मांग शहरीकरण, जीवन शैली में बदलाव और लोगों की भोजन की आदत में परिवर्ततन के कारण स्थायी रूप से बढ़ रही है। तदनुसार भारतीय उपभोक्ता को नए उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पाद परोसे जा रहे हैं जिसका निर्माण अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किया गया है। इस पुस्तक में विभिन्न उद्योगों की जानकारी तथा Cost Estimation (Capacity, Working Capital, Rate of Return, Break Even Point, Cost of Project) को शामिल किया गया है, जैसे: बेकरी उद्योग, रेडी-टू- ईट फूड, बेवरेजेज, खाद्यान्नों की पिसाई यूनिट, खाद्य तेल से संबंधित उद्योग, फल और सब्जी की पैकेजिंग उद्योग, डेयरी, बीयर एवं एल्कोहोलिक पेय पदार्थ, दुग्ध एवं दुग्ध-निर्मित उत्पाद, अनाज प्रसंस्करण, उपभोक्ता खाद्य वस्तुएँ ; अर्थात् कन्फेक्शनरी, चॉकलेट और कोको उत्पाद, सोया-निर्मित उत्पाद, पानी बोतल प्लांट, उच्च प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ, सॉफ्ट ड्रिंक, खाने और पकाने के लिए तैयार उत्पाद, नमकीन, स्नैक्स, चिप्स, बिस्कुट, नूडल्स और इंस्टेंट नूडल्स, एडिबल नट्स प्रसंस्करण और पैकेजिंग, ज़र्दा, पान मसाला उद्योग, डायबिटिक फूड और मसाला उद्योग आदि । Sample Plant Layout and Photographs of Plant and Machinery with Suppliers Contact Details भी दिए गए है । कौन सा उद्योग मेरे लिए अच्छा रहेगा ? यह सवाल हर उद्यमी के ज़हन में रहता है, कितनी लागत लगेगी? क्या मुनाफा होगा? कितना माल बनेगा? इस पुस्तक में 178 फ़ूड प्रोजेक्ट्स का विवरण दिया गया है। जो उद्योग चुनने में काफी मददगार होगा । अपना स्वयं का उद्योग स्थापित करें और राष्ट्र की उन्नति में भागीदार बने । इस पुस्तक की मदद से उद्यमी को फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में सही उद्योग के चयन में सहायता मिलेगी । यह पुस्तक उद्यमियों, एंटरप्रेन्योर, कृषिविदों, कृषि विश्वविद्यालयों, खाद्य तकनीशियनों और खाद्य उत्पादों के निर्माण के क्षेत्र में रुचि रखने वाले अन्य लोगों के लिए उपयोगी साबित होगी ।


Manufacture of Pan Masala, Tobacco and Tobacco Products. 2nd Revised Edition

Manufacture of Pan Masala, Tobacco and Tobacco Products. 2nd Revised Edition

Author: P. K. Chattopadhyay

Publisher: NIIR PROJECT CONSULTANCY SERVICES

Published: 2021-05-14

Total Pages: 448

ISBN-13: 8194737974

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Tobacco comes from a leafy plant that tends to grow in warm tropical areas. It is famously grown all over the Caribbean, where the warm, sunny conditions make for a perfect growing climate. Tobacco is usually smoked as a nicotinic stimulant and is mostly processed, rolled and dried before being smoked. Different geographies produce different types of the plant. The taste and flavor of the leaves are the characteristic trademarks of different types. The process of curing also determines the type of tobacco. Tobacco products include cigarettes, cigars, loose pipe tobacco, chewing tobacco and snuff. These products contain the dried, processed leaves of the tobacco plant nicotiana rustica or nicotiana tabacum. All tobacco contains nicotine, an addictive drug. Today’s tobacco also contains thousands of other chemicals designed to make the products more user-friendly and addictive. Nicotine is a nitrogen-based compound which dissolves in organic compounds. Tobacco leaves contain plenty of nicotine which evaporates on burning. This nitrogen-based compound is addictive in low amounts and toxic in high doses. Nicotine Sulfate is a potent pesticide, known for its high toxicity. A large proportion of Indian economy is agro based in which Tobacco is one of the principal cash crops. The tobacco production and its allied products’ sales in the country have played a prominent role in the development of nation’s economy. India is the largest tobacco market in the world in terms of tobacco consumption. The smokeless tobacco has historically been served as a tradition in India for many decades. Tobacco Waste or dust is generated at various stages of post-harvest processing of tobacco and also while manufacturing various tobacco products mainly during manufacture of tobacco products like cigarette and Beedi. The types of wastes generated during pre and post-harvest practice of tobacco include suckers, stems, mid ribs, leaf waste and dust. The main contents of the book are Tobacco Cultivation, Tobacco Diseases and Pests, Organic Tobacco Production, Chewing Tobacco, Cigarettes, Bidi, Cigars, Readymade Khaini, Chewing Tobacco (Khaini), Zarda, BIS Specifications, Katha, Mouth Fresheners, Pan Chutney, Pan Masala, Kimam, Tobacco of Various Grade, Sweet Supari, Nicotine Sulphate, USP Nicotine, Nicotine Tartarate, Nicotine Polacrilex Resin, Smokeless Tobacco (SLT), Hookah, Tobacco Products Manufacturing Processes, E-Liquid (Main Chemicals, Compounds, Components), Additives in Tobacco Products, Additives Products, Packaging & Labeling (Design Trends & Technologies), Plastics in Food Packaging, Packaging Laws and Regulations and Photographs of Machinery with Supplier’s Contact Details. This book is one-stop guide to one of the fastest growing sector of the Pan Masala, Tobacco and Tobacco Products, where opportunities abound for manufacturers, retailers, and entrepreneurs. This is the only complete handbook on Pan Masala, Tobacco and Tobacco Products. It serves up a feast of how-to information, from concept to purchasing equipment.


Report

Report

Author: India. Department of Food

Publisher:

Published: 1978

Total Pages: 88

ISBN-13:

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Local Food Systems; Concepts, Impacts, and Issues

Local Food Systems; Concepts, Impacts, and Issues

Author: Steve Martinez

Publisher: DIANE Publishing

Published: 2010-11

Total Pages: 87

ISBN-13: 1437933629

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This comprehensive overview of local food systems explores alternative definitions of local food, estimates market size and reach, describes the characteristics of local consumers and producers, and examines early indications of the economic and health impacts of local food systems. Defining ¿local¿ based on marketing arrangements, such as farmers selling directly to consumers at regional farmers¿ markets or to schools, is well recognized. Statistics suggest that local food markets account for a small, but growing, share of U.S. agricultural production. For smaller farms, direct marketing to consumers accounts for a higher percentage of their sales than for larger farms. Charts and tables.